पूषी भाभी बेडरूम की खिड़की के पास खड़ी थी, चांदनी उसकी त्वचा पर एक कोमल चमक बिखेर रही थी। उसकी लाल साड़ी उसके शरीर के उभारों से चिपकी हुई थी, और प्रत्याशा ने उसके दिल की धड़कनें बढ़ा दी थीं। उसका पति चुपचाप अंदर आया, उसकी आँखें उसकी आँखों से मिलते ही वासना से भर गईं। बिना कुछ कहे, वह कमरे में चला गया और उसे अपनी बाहों में ले लिया। दिन का तनाव पिघल गया जब उनके होंठ एक गहरे, भावुक चुंबन में मिले। उसने धीरे से उसकी साड़ी को उसके कंधे से हटाया, उसके हाथ उसकी कोमल त्वचा को टटोल रहे थे। जब वे बिस्तर पर गए तो कमरा उनकी सांसों की आवाज़ से भर गया। उसने उसे लिटाया, उसके स्पर्श ने उसके भीतर एक आग जला दी। उनके शरीर प्रेम और लालसा के नृत्य में एक साथ आ गए, हर हरकत एक साथ थी, हर स्पर्श आनंद की लहरें भेज रहा था। जब वे उसके बाद एक दूसरे से लिपटे हुए लेटे, तो रात ने उन्हें गर्मजोशी और अंतरंगता से ढँक दिया। पूषा ने अपना सिर उसकी छाती पर टिका दिया, उसके दिल की धड़कन को ध्यान से सुन रही थी, यह जानते हुए कि उनका प्यार एक सुंदर, अंतहीन कहानी थी।