पुषा भाभी बालकनी में खड़ी थी, उसकी लाल साड़ी शाम की हवा में लहरा रही थी। वह अपने पति के बिजनेस ट्रिप से लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। कार के दरवाजे के बंद होने की आवाज ने उसके दिल की धड़कनें बढ़ा दीं। वह अंदर चला गया, उसे देखते ही उसकी आँखें चमक उठीं। “पुषा,” उसने फुसफुसाते हुए कहा, लालसा से भरा हुआ। वह उसकी बाहों में चली गई, उनके शरीर पूरी तरह से एक दूसरे से सटे हुए थे। अंदर, डिनर भूल गया था। उसके हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे, उसे अपने करीब खींच रहे थे। उनके होंठ एक चुंबन में मिले जो उन सभी अकेले रातों की बात कर रहा था, जो जुनून और प्यार का वादा कर रहे थे। वे बेडरूम में चले गए, चाँदनी चाँदी की चमक बिखेर रही थी। उसने उसे धीरे से लिटाया, उसका स्पर्श बिजली की तरह चमक रहा था। रात के सन्नाटे में, उन्होंने प्यार किया, उनके शरीर और आत्मा एक दूसरे से जुड़ गए। बाहर की दुनिया का अस्तित्व समाप्त हो गया; उनका प्यार चमक उठा। जब वे दोनों एक साथ लेटे थे, साँस फूल रही थी और संतुष्ट थे, तो पूषा को पता था कि उनका प्यार एक खूबसूरत, अंतहीन कहानी थी।